May 19, 2024

श्री बालाजी चालीसा | Shri Balaji Chalisa

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान
बालाजी चालीसा लिखे “ओम” स्नेही कल्याण ॥
विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान ।
मेंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान ॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान बालाजी देवा । प्रगट भये यहां तीनों देवा ॥१॥
प्रेतराज भैरव बलवाना । कोलवाल कप्तानी हनुमाना ॥२॥
मेंहदीपुर अवतार लिया है । भक्तों का उद्धार किया है ॥३॥
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर । संकट वाले आते जहां पर ॥४॥

डाकिनी शाकिनी अरु जिंदनीं । मशान चुड़ैल भूत भूतनीं ॥५॥
जाके भय ते सब भग जाते । स्याने भोपे यहां घबराते ॥६॥
चौकी बंधन सब कट जाते । दूत मिले आनंद मनाते ॥७॥
सच्चा है दरबार तिहारा । शरण पड़े सुख पावे भारा ॥८॥

रूप तेज बल अतुलित धामा । सन्मुख जिनके सिय रामा ॥९॥
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा । सबकी होवत पूर्ण आशा ॥१०॥
महंत गणेशपुरी गुणीले । भये सुसेवक राम रंगीले ॥११॥
अद्भुत कला दिखाई कैसी । कलयुग ज्योति जलाई जैसी ॥१२॥

ऊंची ध्वजा पताका नभ में । स्वर्ण कलश है उन्नत जग में ॥१३॥
धर्म सत्य का डंका बाजे । सियाराम जय शंकर राजे ॥१४॥
आन फिराया मुगदर घोटा । भूत जिंद पर पड़ते सोटा ॥१५॥
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा । बाल रूप प्रगटे हनुमाना ॥१६॥

जय हनुमंत हठीले देवा । पुरी परिवार करत है सेवा ॥१७॥
लड्डू चूरमा मिसरी मेवा । अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा ॥१८॥
दया करे सब विधि बालाजी । संकट हरण प्रगटे बालाजी ॥१९॥
जय बाबा की जन जन उचारे । कोटिक जन तेरे आए द्वारे ॥२०॥

बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा । तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा ॥२१॥
देवन विनती की अति भारी । छांड़ दियो रवि कष्ट निहारी ॥२२॥
लांघि उदधि सिया सुधि लाए । लक्ष्मण हित संजीवन लाए ॥२३॥
रामानुज प्राण दिवाकर । शंकर सुवन मां अंजनी चाकर ॥२४॥

केसरी नंदन दुख भव भंजन । रामानंद सदा सुख संदन ॥२५॥
सिया राम के प्राण पियारे । जय बाबा की भक्त ऊचारे ॥२६॥
संकट दुख भंजन भगवाना । दया करहु हे कृपा निधाना ॥२७॥
सुमर बाल रूप कल्याणा । करे मनोरथ पूर्ण कामा ॥२८॥

अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी । भक्त जन आवे बहु भारी ॥२९॥
मेवा अरु मिष्टान प्रवीना । भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना ॥३०॥
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे । रिद्धि सिद्धियाँ जाके द्वारे ॥३१॥
अर्जी का आदर मिलते ही । भैरव भूत पकड़ते तबही ॥३२॥

कोतवाल कप्तान कृपाणी । प्रेतराज संकट कल्याणी ॥३३॥
चौकी बंधन कटते भाई । जो जन करते हैं सेवकाई ॥३४॥
रामदास बाल भगवंता । मेंहदीपुर प्रगटे हनुमंता ॥३५॥
जो जन बालाजी में आते । जन्म जन्म के पाप नशाते ॥३६॥

जल पावन लेकर घर जाते । निर्मल हो आनंद मनाते ॥३७॥
क्रूर कठिन संकट भग जावे । सत्य धर्म पथ राह दिखावें ॥३८॥
जो सत पाठ करे चालीसा । तापर प्रसन्न होय बागीसा ॥३९॥
कल्याण स्नेही स्नेह से गावे । सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे ॥४०॥

॥ दोहा ॥

मंद बुद्धि मम जानके, क्षमा करो गुणखान ।
संकट मोचन क्षमहु मम, “ओम” स्नेही कल्याणा ॥

॥ इति श्री बालाजी चालीसा संपूर्णम् ॥

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