श्री सूर्य देव चालीसा | Shri Surya Dev Chalisa
॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग । पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर ॥१॥ भानु …
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॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग । पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर ॥१॥ भानु …
॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल । दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज । करहु कृपा हे …
🌺 हनुमान चालीसा क्या है? “चालीसा” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के “चालीस” शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है – 40। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में कुल 40 …
॥ दोहा ॥ आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं । वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं ॥ बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम् । पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं ॥ ॥ …
॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥१॥ …
॥ दोहा ॥ जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल । विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः …