November 21, 2024

श्री खाटू श्याम चालीसा | Shri Khatu Shyam Chalisa

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द ।
श्याम चालीसा भणत हूँ, रच चैपाई छन्द ॥

॥ चौपाई ॥

श्याम श्याम भजि बारम्बारा । सहज ही हो भवसागर पारा ॥१॥
इन सम देव न दूजा कोई । दीन दयालु न दाता होई ॥२॥
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया । कहीं भीम का पौत्र कहाया ॥३॥
यह सब कथा सही कल्पान्तर । तनिक न मानों इसमें अन्तर ॥४॥

बर्बरीक विष्णु अवतारा । भक्तन हेतु मनुज तनु धारा ॥५॥
वसुदेव देवकी प्यारे । यशुमति मैया नन्द दुलारे ॥६॥
मधुसूदन गोपाल मुरारी । बृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥७॥
सियाराम श्री हरि गोविन्दा । दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा ॥८॥

दामोदर रणछोड़ बिहारी । नाथ द्वारिकाधीश खरारी ॥९॥
नरहरि रुप प्रहलाद प्यारा । खम्भ फारि हिरनाकुश मारा ॥१०॥
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता । गोपी वल्लभ कंस हनंता ॥११॥
मनमोहन चित्तचोर कहाये । माखन चोरि चोरि कर खाये ॥१२॥

मुरलीधर यदुपति घनश्याम । कृष्ण पतितपावन अभिरामा ॥१३॥
मायापति लक्ष्मीपति ईसा । पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥१४॥
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा । दीन बन्धु भक्तन रखवारा ॥१५॥
प्रभु का भेद कोई न पाया । शेष महेश थके मुनिराया ॥१६॥

नारद शारद ऋषि योगिन्दर । श्याम श्याम सब रटत निरन्तर ॥१७॥
करि कोविद करि सके न गिनन्ता । नाम अपार अथाह अनन्ता ॥१८॥
हर सृष्टि हर युग में भाई । ले अवतार भक्त सुखदाई ॥१९॥
हृदय माँहि करि देखु विचारा । श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥२०॥

कीर पढ़ावत गणिका तारी । भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥२१॥
सती अहिल्या गौतम नारी । भई श्राप वश शिला दुखारी ॥२२॥
श्याम चरण रच नित लाई । पहुँची पतिलोक में जाई ॥२३॥
अजामिल अरू सदन कसाई । नाम प्रताप परम गति पाई ॥२४॥

जाके श्याम नाम अधारा । सुख लहहि दु:ख दूर हो सारा ॥२५॥
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर । मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर ॥२६॥
गल वैजयन्तिमाल सुहाई । छवि अनूप भक्तन मन भाई ॥२७॥
श्याम श्याम सुमिरहु दिनराती । शाम दुपहरि अरू परभाती ॥२८॥

श्याम सारथी जिसके रथ के । रोड़े दूर होय उस पथ के ॥२९॥
श्याम भक्त न कहीं पर हारा । भीर परि तब श्याम पुकारा ॥३०॥
रसना श्याम नाम रस पी ले । जी ले श्याम नाम के हाले ॥३१॥
संसारी सुख भोग मिलेगा । अन्त श्याम सुख योग मिलेगा ॥३२॥

श्याम प्रभु हैं तन के काले । मन के गोरे भोले भाले ॥३३॥
श्याम संत भक्तन हितकारी । रोग दोष अघ नाशै भारी ॥३४॥
प्रेम सहित जे नाम पुकारा । भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥३५॥
खाटू में है मथुरा वासी । पार ब्रह्म पूरण अविनासी ॥३६॥

सुधा तान भरि मुरली बजाई । चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई ॥३७॥
वृद्ध बाल जेते नारी नर । मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर ॥३८॥
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई । खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई ॥३९॥
जिसने श्याम स्वरूप निहारा । भव भय से पाया छुटकारा ॥४०॥

॥ दोहा ॥

श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार ।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार ॥

॥ इति श्री खाटू श्याम चालीसा संपूर्णम् ॥

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