गण्ड मूल नक्षत्र | Gand Mool Nakshatra
गण्ड नक्षत्र के सम्बन्ध में शास्त्रकारों का मत गण्ड नक्षत्र – अश्विनी, मघा, ज्येष्ठा, मूल, आश्लेषा व् रेवती होते हैं। कुछ दैवज्ञों ने पूर्वाषाढ़ा, पुष्य, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी व् चित्रा नक्षत्रों को …
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गण्ड नक्षत्र के सम्बन्ध में शास्त्रकारों का मत गण्ड नक्षत्र – अश्विनी, मघा, ज्येष्ठा, मूल, आश्लेषा व् रेवती होते हैं। कुछ दैवज्ञों ने पूर्वाषाढ़ा, पुष्य, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी व् चित्रा नक्षत्रों को …
आइए हम छिन्नमस्ता की उतारें आरती । भैरवी भी भक्ति से दिनरात चरण पखारती ॥ संग है विजया जया का रक्त धारा बह रही । लोक मंगल के लिए मां कष्ट भारी …
ॐ जय कैला रानी, मैया जय कैला रानी । ज्योति अखंड दिये माँ, तुम सब जगजानी ॥ तुम हो शक्ति भवानी, मन वांछित फल दाता…। अद्भुत रूप अलौकिक, सदानन्द माता ॥ ॐ …
निर्जला एकादशी व्रत : निर्जला व्रत से ही यह ज्ञात होता है की वह व्रत जिसमे अन्न, फलाहार व् जल को त्याग करके व्रत को सम्पन करना होता है। वह व्रत निर्जला …
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता । अपने भक्त जनन की, दूर करन विपत्ती ॥ ॐ जय श्री राणी सती माता… अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत, मंडितचहुँक कुंभा …
ॐ जय हिंगलाज माता, मैया जय हिंगलाज माता । जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ॥ ॐ जय हिंगलाज माता… हीरा पन्ना मंडित, शीश मुकुट सोहे । भाल सिन्दुरी टीका, भक्तन …
ओम जय श्री जीण मइया, बोलो जय श्री जीण मइया । सच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भया ॥ ओम जय श्री जीण मइया… ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी । …
आरती कामाख्या देवी की । जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती कामाख्या देवी की… गावत वेद पुरान कहानी । योनिरुप तुम हो महारानी ॥ सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी । लहे दरस …
ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज । संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज ॥ ॐ जय जय जय गिरिराज… इन्द्रादिक सब सुर, मिलतुम्हरौं ध्यान धरैं । …
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला । श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद …