November 21, 2024

बाबा मोहन राम जी की आरती | Baba Mohan Ram Ji Ki Aarti

बाबा मोहन राम जी की आरती – १

जगमग – जगमग जोत जगी है, मोहन आरती होने लगी है
पर्वत खोली का सिंहासन, जिस पर मोहन लगाते आसन
आ मंदिर देते भाषण, उस मोहन की जोत जगी है
जगमग जगमग…

कलयुग मैं अवतार लियो है, पर्वत ऊपर वास कियो है
गाँव मिलकपुर मंदिर तेरा, जहाँ दुखियो का लग रहा डेरा
ज्ञान का वहां भंडार भरा है, सीताफल का वृक्ष खड़ा है
जगमग जगमग…

यहाँ पर तुम दिल रखो सच्चा, सभी है इसमें बूढा – बच्चा
प्रेम से मिलकर शक्कर बाटों, बाबा जी जोहड़ छांटो
उस मोहन की जोत जगी है
जगमग जगमग…

अंधे तो तुम नेत्र देते, कोढ़िन को देते हो काया
बाँझन को तुम पुत्त देते, निर्धन को देते हो माया
जगमग जगमग…

नन्दु जी को तुम दर्शाए, गाँव मिलकपुर मंदिर बनवाए
शिव जी का वास कराये, अपनी माया को दर्शाए
जगमग जगमग…

नेतराम जी की यही विनती, प्रेम से मिलकर बोलो आरती
उस मोहन की जोत जगी है, मोहन आरती होने लगी है
जगमग जगमग…

॥ इति बाबा मोहन राम आरती संपूर्णम् ॥

बाबा मोहन राम जी की आरती – २

ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नमः
आरती खोली वाले का, कृष्ण के अवतारी का ।
मोहन मुरली वाले का, नृसिंह अवतारी का ॥
आरती बंशी वाले का… (१)

धन्ना जाट तेरी धन्य कमाई, जिसने प्रीति हरि संग लायी ।
एक मन होकर नाम रटाई, हुए पत्थर में प्रकट कन्हाई ॥
आरती प्रकट होने वाले का, बिन बीज खेत उपजाने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (२)

कर्मा तूने बात पिता की मानी, खिचड़ी खिला मोहन को ठानी ।
खिचड़ी खाय पिया हरि ने पानी, तेरी जग में हुई अमर कहानी ॥
आरती खिचड़ी खाने वाले का, कर्मा की बात रखने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (३)

प्रह्लाद ने ज्ञान दिया भारी, कण – कण में प्रभु हितकारी ।
पिता ने खड्ग खम्ब में मारी, प्रकट हुए नृसिंह अवतारी ॥
आरती उस नृसिंह अवतारी का, प्रह्लाद को बचाने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (४)

मीरा ने ली हरि की माला, दिखे पत्थर में नन्द लाला ।
पी गई जहर भरा प्याला, नाग बने फूलों की माला ॥
आरती विषामृत करने वाले का, मीरा को बचाने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (५)

द्रोपदी ने तेरा नाम लिया, हाथ जोड़ तेरा ध्यान किया ।
तुरन्त तूने चीर बढ़ा दिया, दुःशासन को हरा दिया ॥
आरती चीर बढ़ाने वाले का, सभा में लाज रखने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (६)

मोरध्वज की भक्ति भारी, बन गये अर्जुन कृष्ण भिखारी ।
जब दहाड़ शेर ने मारी, लई परीक्षा प्रभु ने न्यारी ॥
आरती परीक्षा लेने वाले का, शेर बनाने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (७)

नरसी ने त्याग दी धन माया, ज्ञान हुआ शरण तेरी आया ।
सिरसा में स्वर्ण बरसाया, बन सांवलशाह तेने भात भराया ॥
आरती स्वर्ण बरसाने वाले का, उस हरनन्दी के भाती का ॥
आरती बंशी वाले का… (८)

गज गृह युद्ध हुआ भारी, गज डूबन की हुई तैयारी ।
आये सुदर्शन चक्रधारी, मार ग्राह और गज की विपदा टारी ॥
आरती गज को बचाने वाले का, शंख चक्र धारण करने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (९)

ॐ की महिमा भारी, जय बाबा भोले भंडारी ।
तेरी खोली की सरदारी, भक्ति भक्तों ने धारी ॥
आरती भगत बनाने वाले का, धूणे चिमटे वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (१०)

लक्ष्मीपति हरि की माया, त्याग बैकुंठ ब्रज आया ।
रूप – रंग राधा मन भाया, लूट के दधि माखन खाया ॥
आरती माखन खाने वाले का, गऊ चराने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (११)

सीता जी का राम तू ही है, राधा जी का श्याम तू ही है ।
संकट मोचन नाम तू ही है, बाबा मोहन राम तू ही है ॥
आरती नीले घोड़े वाला का, काली कमली वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (१२)

प्रकट हुआ हलालपुर में, मन्दिर बना दिया क्षण भर में ।
वाणी सद्‌गुरु तेजबीर के सुर में, सदा वास तेरा सद्‌गुरु हृदय में ॥
आरती हलालपुर धाम निराले का, पावन करने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (१३)

आरती मोहन का जो गाये, मन वांछित फल वो पाये ।
सुख सम्पत्ति घर में आये, कष्ट सब दूर हो जाये ॥
आरती सब दुख हरने वाले का, मन वांछित फल देने वाले का ॥
आरती बंशी वाले का… (१४)

॥ इति बाबा मोहन राम आरती संपूर्णम् ॥

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