श्री चामुण्डा चालीसा | Shri Chamunda Chalisa
॥ दोहा ॥ नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड ॥ मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी पीड़ा …
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॥ दोहा ॥ नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड ॥ मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी पीड़ा …