श्री छिन्नमस्ता चालीसा | Shri Chinnamasta Chalisa
॥ दोहा ॥ अपना मस्तक काट कर, लीन्ह हाथ में थाम । कमलासन पर पग तले, दलित हुए रतिकाम ॥ जगतारण ही काम है, रजरप्पा है धाम । छिन्नमस्तका को करूं, बारंबार …
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॥ दोहा ॥ अपना मस्तक काट कर, लीन्ह हाथ में थाम । कमलासन पर पग तले, दलित हुए रतिकाम ॥ जगतारण ही काम है, रजरप्पा है धाम । छिन्नमस्तका को करूं, बारंबार …
॥ दोहा ॥ मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम । चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध करो सब काम ॥ देवी घट-घट वासिनी, ह्रदय तेरा विशाल । निष्ठावान हर भक्त पर, रहियो सदा …
॥ दोहा ॥ मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार । शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार ॥ धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम । तुमरे सुमरन से प्रभु, …
॥ दोहा ॥ शक्ति पीठ मां ज्वालपा धरूं तुम्हारा ध्यान । हृदय से सिमरन करूं दो भक्ति वरदान ॥ सुख वैभव सब दीजिए बनूं तिहारा दास । दया दृष्टि करो भगवती आपमें …
॥ दोहा ॥ कोटि कोटि नमन मेरे माता पिता को, जिसने दिया शरीर । बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने, दिया हरि भजन में सीर ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जग मात …
॥ दोहा ॥ जय जय कैला मात है तुम्हे नमाउ माथ । शरण पडू में चरण में जोडू दोनों हाथ ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय कैला महारानी । नमो नमो …
॥ दोहा ॥ वन्दो वीरभद्र शरणों शीश नवाओ भ्रात । ऊठकर ब्रह्ममुहुर्त शुभ कर लो प्रभात ॥ ज्ञानहीन तनु जान के भजहौंह शिव कुमार । ज्ञान ध्यान देही मोही देहु भक्ति सुकुमार …
॥ दोहा ॥ नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड ॥ मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी पीड़ा …
॥ चौपाई ॥ पहले साई के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं । कैसे शिरडी साई आए, सारा हाल सुनाऊं मैं ॥१॥ कौन है माता, पिता कौन है, ये न किसी ने …
॥ दोहा ॥ बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान । शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥ आनन्दमयी जगदम्बिका, अनन्त रूप भण्डार । माँ शाकम्भरी की कृपा, बनी रहे हर बार …